Description
गोस्वामी जी की यही सामाजिक आदर्श व्यवस्था की परिकल्पना को आधार मानकर प्रस्तुत पुस्तक ”तुलसी के काव्य में लोक-तत्वों का निरूपण एवं लोक आदर्श की व्याप्ति“ विषय का अध्ययन कर आदर्श लोक-तत्वों और उनकी उपादेयता को नवीन रूप में प्रस्तुत करने का विनम्र प्रयास किया गया है। इस पुस्तक को सात-अध्याय का रूप देकर पूर्ण किया गया है। गोस्वामी जी की लोक-मंगलकारी दृष्टि और उनका मौलिक लोक-चिन्तन भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर है; इसका उपयोग ‘लोक’ के ‘आदर्श’ व्यवस्था पर किसी भी प्रश्न के तथ्यपरक या तत्वपरक उत्तर तलाशने के लिए सदैव हुआ है और होता रहेगा। गोस्वामी तुलसी दास जी आज देश, काल, भाषा और धर्म की सीमाओं को पार कर सच्चे अर्थों में लोक-नायक हैं। उनके ग्रंथों से महत्त्वपूर्ण तत्वों को उद्घाटित कर पुस्तक का मूर्त रूप आप सभी सुधी-जनों को सादर-समर्पित है।
डॉ. दिलीप कुमार तिवारी, एम.ए. (हिंदी )पी-एचडी. (हिंदी) एम.एस.सी.(सी.एस.), एम.एस.डब्ल्यू., एल.एल.एम, पी.जी.डी.सी.ए, CAFE, DAST, DFS। डाॅ. तिवारी पूर्व में प्राचार्य पद पर राजीव गाँधी कॉलेज, शहडोल में कार्य कर चुके हैं और वर्तमान में हिंदी-विभाग, पंडित शम्भुनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय, शहडोल (म.प्र.). में सेवा दे रहे हैं। इनके आलेख विभिन्न शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। डाॅ. तिवारी द्वारा शहडोल आकाशवाणी से कविता और वार्ता का प्रसारण भी किया जा चुका है। डाॅ. तिवारी को विद्यावाचस्पति, विद्यासागर, हिंदी गौरव, साहित्य शिरोमणि की उपाधि एवं भारतीय भाषा गौरव, बाण भट्ट साहित्य सेवा सम्मान, युवा रचनाकार, तुलसी रत्न सम्मान इत्यादि से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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